Description
विभूति आनंद जखन कथा लिखबा लेल कलम उठबैत छथि (वा मोबाइल पर की-पैड पर जखन तर्जनी राख’ लगैत छथि), ताहिसं पहिने बहुत रास बात हुनका सोझाँ ठाढ़ होइत छनि। जेना, कथा-वस्तु चयन। आ ताहि चयन लेल पूर्वक रचना (अपन आ आनक) सभक खोहमे पैसऽ पड़ैत छनि। ओ बृहत्तर समाजकें देखैत छथि, झोलैत छथि आ बहार करैत छथि नब-नब कथा-वस्तु। अनछुअल विषय। वैश्विक परिवर्तनक गतिकें गुनबाक प्रयास करैत छथि। ओहि बदलाव कें पकड़बाक प्रयास करैत छथि आ तखन कथा लिखबाक निस्तुकी करैत छथि। आ, एहि सभ लेल कथाकारकें सतर्क होमऽ पड़त छैक। दोसर बात, कथा कहबाक ढंग आ विश्सनीयता सेहो महत्वपूर्ण बात होइत छैक, जे कथाकारकें कागत दिस बढ़ऽसँ पहिने रोकैत छैक। आ, सभसँ बसी महत्वपूर्ण होइत छैक स्वयं अपने लिखल कथा सभक ग्राफ़। माने अपन लिखल पूर्व कथा सभसँ लिखल जाय बला कथाक ग्राफ ऊपर मुहें जाइत छैक कि नहि, ताहू पर कथाकार सोचैत छथि। तखन नव कथाक संधान करैत छथि। आ, एहन संधानक बाद बहराइत अछि हिनक कथा। तेहने कथा सभक बनगी एहि पोथीमे पाठक कें भेटैत छनि।
मैथिलीमे सर्वाधिक कथा लिखनिहार कथाकार विभूति आनन्दक प्रस्तुत ‘प्रोफेसर’ कथा सिरीजक संग्रह पाठकक मोनमे अपन स्थान बनाओत, से विश्वास सहजहिं अछि।
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