Description
आजुक समय मे जखन नव कविता अपन स्वर, त्वरा, शिल्प आ दृष्टिक संग अपन पांखि पसारने अछि, ओहन समय मे मैथिलीमे प्राय: बिसरायल आ अल्प-प्रचलित काव्य-विधा ‘दोहा’क अपन संग्रह “चान ओलती ठाढ़ अछि”क संग रूपम झाक उपस्थिति रेखांकित करबा योग्य अछि। दोहा विधाक परम्परागत विषयक फ्रेम के अपन एहि संग्रह मे ओ तोड़लनि अछि। समकालीन दोहाक एहि संग्रहक केन्द्र मे गाम, परिवार, समाज, प्रेम, संघर्ष आ विरोधक स्वर अछि। पाठक कें एकटा नव स्वाद दैत अछि ई पोथी। तें पठनीय आ संग्रहनीय।
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