Description
वस्तुतः ई प्रयोगपरक उपन्यास अछि, जे मात्र संवादेक बल पर पूर्णता कें प्राप्त करैत अछि। वएह संवाद सभ कथानक कें विस्तार दैत आगू बढ़ौने चल जाइत अछि। मुदा से नहुँयें-नहुँयें। सेहो विशुद्ध कलात्मक ढंगे।
एहि उपन्यास मे प्रयुक्त संवाद सभ वस्तुतः संवाद नहि, फेसबुकक माध्यम सँ समय-समय पर अबैत-जाइत एसएमएस, ह्वाट्सऐप चैट आ टेलिफोनिक गप-सपक एक सुंदर सन गुलदस्ता अछि, जे अनेक सुगंधित फूलक संयुक्त सुगंध सन मोहित करैत अछि।
ई चैट आधारित मैथिलीक पहिल आ प्रयोगपरक उपन्यास अछि। आ से ई प्रयोग, प्रथमहि बॉल मे जेना छक्का मारि लेलक अछि!
… मुदा बहुत रास आभासी संवाद कें अथवा आपसी गप-सप कें उपन्यास रूप दऽ देब, लगैत अछि, प्रदीप बिहारी टा कऽ सकैत रहथि! आ ओ से कऽ देखौलनि।
मुदा मूल बात ई अछि जे आजुक आभासी संसारक जन्म लेला सँ जे प्रेमक मूल भावनाक मृत्यु भऽ जयबाक संकट प्रबल भऽ गेल छै, ई उपन्यास अपना सक भरि तकरा बचयबाक कोशिश करैत अछि। आ से अंतिम निष्कर्ष मानी तँ एहि कृतिक मूल चिंता ओ चिंतन सएह अछि! तें…
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