Description
वैश्वीकरणक दंश सं प्रभावित मिथिलाक गाम आ कस्बाई शहरक दशा-दिशाक संगहि बहुराष्ट्रीय कम्पनीमे कार्यरत युवक सभक मेहनति, बेसी-सं-बेसी पाइ कमयबाक लिप्सा, अधुनातन जालमे फंसल जीवन-शैलीक कारण विस्थापन आ जीवनक त्रासदी एहि उपन्यासक मूल विषय अछि। एहि चक्रमे पिसाइत नव पीढ़ी कोनाअपन जड़िसं कटि रहल अछि, ताहि विषय पर अप्रतिम उपन्यास अछि- जड़ि। एहि उधबामे पुस्तक आ पठन संस्कृति कोना नष्ट भ’ रहल छैक, तकरो अवधेष एहि पोथीमे देखल जा सकैछ।
प्रदीप बिहारीक दूरदर्शिता एहि उपन्यासमे साफ-साफ झलकैत छनि। ओ समाज लग ई स्थिति राखि चेतबितो छथि। उपन्यास भाषा सहज आ संप्रेषणीय छैक, जे पाठककें पढ़ैत रहबा लेल प्रेरित रहबा लेल बाध्य करैत छैक
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