Description
मेनका मल्लिकक ई कविता संग्रह अपन प्रकाशनक बाद खूबे चर्चामे रहल। समाजक विभिन्न आयाम हिनक कविता सभमे महिनी सं अयलनि अछि, जकरा मैथिलीक पाठक पसिन कयलनि। एहि संग्रहमे प्राय: सभ वर्गक लेल रचना छैक। मैथिली जखन प्रवासी भ’ जाइत छथि, तखन प्रवासक जगह कोना अपन माटिपानिके मोन पाड़ैत रहैत छथि आ अपन नव मैथिल समाज सिरजैत छथि, ताहि विषयक कविता सभ पाठककें तोष दैत छैक।
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